Sunday 10 April 2011

सपनो का रोग है जिंदगी

कर्मयोग है ज़िन्दगी

कल्पनाओ का शोध है ज़िन्दगी
सपनो का रोग है जिंदगी
योगी का योग है जिंदगी
हर पल कर्मयोग है जिंदगी
कर्म का भोग भोग का कर्म
कुछ सत्कर्म कुछ दुष्कर्म
हांसिये पर मानव धर्म
समझ कर भी ना समझा
जो जीवन का मर्म
चिता तक ना आती उसे शर्म
क्योकि हर पल एक नयी खोज है जिंदगी

अरविन्द योगी १०/०४/२०११

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