"हांथो में था जुगनू सोचा
हर लेगा तम सारा
मुट्ठी लहुलुहान हो गयी
छा गया फिर अँधियारा"
हर लेगा तम सारा
मुट्ठी लहुलुहान हो गयी
छा गया फिर अँधियारा"
मै कोई ख्वाब नहीं जो टूटकर बिखर जाऊंगा, मै तो वो हकीकत का आइना हूँ जो हर नजर और नजरो में नजर आऊंगा , अरविन्द योगी
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