Monday 11 April 2011

मत रो ऐ ज़िन्दगी दुःख कब दूर होते है ,

मत रो ऐ ज़िन्दगी दुःख कब दूर होते है ,
गम के आंसू बहाने से ,
बस चुरा लो इन यादो को ,मुकद्दर के दर्दखाने से ,
ज़िन्दगी रूकती नहीं ,
अपनों के साथ छोड़ जाने से ,
तनहा भी चलना पड़ता है ,
यादो की गलियारों से ,
कुछ मिलता नहीं आंसू भने से ,
पर दिल समझता नहीं ,
लाख समझाने से
क्या-क्या सपने देखते
और सपने सजोते है हम
पर कच्ची मिटटी सी चटक जाते है
सब वक़्त की धूप में,
सबको मिलती है जिंदगी यहाँ ,
दर्द के हर रूप में ,
कितने ही अधूरे वादे और खामोश तन्हा यादे ,
छोड़ जाता है हर कोई अपने पीछे ,
और जाने कौन सी दुनिया है ,
जहाँ से वापस नहीं आता है कोई ,
जिसके लिए ये आँखे कभी ना सोयी ,
बस उनकी तन्हाई में हर पल है रोयी,
पर ना रो ऐ मेरी ज़िन्दगी ,
दुःख कब दूर होते है ,
गम के आंसू बहाने से ,
चुरा लो इन यादो को ,
मुकद्दर के खजाने से ,
क्योकि जाने वाला फिर ,
लौट कर नहीं आता वापस *योगी*
उसकी यादो में आंसू बहाने से
शशि की माँ की मृतु पर सहृदय समर्पित *अरविन्द योगी*

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