Monday 18 April 2011

ये है दिल्ली मेरी जान

ये है दिल्ली मेरी जान

कभी ना घटती जिसकी शान
हर पल बढती इसकी मान
हर जीवन में एक नई जान
हर दिन एक नई पहचान
ये है दिल्ली मेरी जान !
यहाँ दौड़ती जिंदगी सर पटकती गंदगी
ट्रैफिक से दिल्लगी करते लोग
वक़्त का समुचित सदुपयोग
यहाँ मिलता है भरपूर प्यार
जानवर हो या इन्सान
ये है दिल्ली मेरी जान !
जमीन से आसमान तक
झोपडी से मकान तक
चाय से पकवान तक
शैतान से भगवान तक
यहाँ सब मिलते हैं महान
ये है दिल्ली मेरी जान !
यहाँ खुली किताब बंद ज़िन्दगी
रंगीन अपने बेरंग आँखे
कोई आये कोई जाये
मिलती सबको कुछ सौगातें
इसकी निराली सब बातें
हर बातो में है जान
ये है दिल्ली मेरी जान !
रात को दुल्हन सुबह को राजा
दिन बढ़ते बन जाये शहजादा
हम को बनता फिर चाँद आधा
पूरा करता अपना हर वादा
हर वादे में दिल की शान
ये है दिल्ली मेरी जान !
खुशियों की बारिश सपनों की शाजिश
देश का दिल है दिल
सबसे प्यारी प्रीत है
हर पल बजती संगीत है
हर सुबह एक नई पहचान
एक नई जान एक नई शान
ये है दिल्ली मेरी जान
यह कविता क्यों ? देश के दिल दिल्ली में दिल से जियें दिल्ली का दिल बड़ा व्यावसायिक हो चूका है अमझे की दिल्ली का नाम दिल्ली क्यों है ? प्यार से जिए औरों को भी जीने दें !
अरविन्द योगी १९/०४/२०११

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