Thursday 7 April 2011

यादो में दर्द अभी है

यादों की बर्फ जमी है
यादो में दर्द अभी है
जिस दरख्त के नीचे
आंसू की झील बही है
यादो की पीर वही है
कुछ आँखों में नमी है
किसी अपने की कमी है
वो है आशियाना अपना
धरती है चंदा है आसमान है
बहुत बड़ा ये जहाँ है
जिसे खोजे दिल जाने
वो कहाँ है जाने कहाँ है ?
मै तो इंतजार के राह का पत्थर हूँ
जो रो पड़ा तो क्या
बचपन जवानी फिर बुडापा
ये कहानी सबकी
जो पत्थर बन गए तो
क्या जिन्दगी अपनी
अरविन्द योगी

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