Monday 11 April 2011

बनारस


बनारस
परम्पराओ के शहर में ,
शिव के नगर में ,
श्रद्धा की लहर में,
भावना की भंवर में ,
आज भी
भाष्कर उगता है पूरब में ,
ढलता है पश्चिम में ,
कुछ भी बदला नहीं ,
परम्पराओ के शहर में,
मंदिरों के नगर में ,
आज भी ,
खामोश संगीत ,
गंगा की लहर में ,
अँधा विस्वास ,
भाव के भवंर में ,
वो इतिहास के पन्नो में छिपा पुराना मकान ,
जिसके बगल में आज भी है पान की दुकान,
लगता है जहाँ हर पल चौपाल ,
कभी नहीं रूकती जहाँ जीवन की रफ़्तार ,
जहाँ के कण -कण में है ,
सत्यम-शिवम्-सुन्दरम का प्यार ,
जहाँ मरण भी है नव जीवन का उपहार ,
जहाँ शिव करते सबका उदधार,
जिसके योग को मानता संसार ,
वो योगी बनारस है !

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