Monday 11 April 2011

तुम मुझसे प्यार करती हो

तुम मुझसे प्यार करती हो
तुम मुझसे प्यार करती हो
जैसे अपनी स्वेक्षा से उमड़ कर
तितलियाँ फूलों से करती है
बादलों की जुल्फों से
टपक कर हरी दूब से
चिपककर सावन की रिमझिम बूंदें
प्यार करती हों जैसे
हाँ तुम मुझसे प्यार करती हो !...................
गुलाब की पंखुड़ियों की तरह
शूलों से लिपटकर भी
मुस्कराती है अपने भाग्य पर
तुम भी अपूर्ण हो मेरे बिना
ज्यों कोमल पंखुडियां
शूलों के बिना
तुम मुझसे प्यार करती हो ............
शशि की रात में
जमीन से आसमान की फलक तक
फैली ज्योत्सना की तरह
अमावश की रात में
शाहिल से टकराती लहरों की तरह
मै तुमसे प्यार करता हूँ
अपनी कल्पना में उपजी
हर एक कविता की तरह
तुम्हे याद करता हूँ
आयत की तरह
मै तड़प उठता हूँ
जब तुम रुनझुन करती हो
मेरे ह्रदय में
पैरों की पायल की तरह
गा उठता है मेरे दर्द का हर गीत
एक पागल प्रीत की तरह
तुम मुझसे प्यार करती हो .............
पंख और परवाज की तरह
हर धुन में बजती हो
सांसो में साँस की तरह
सच तुम योगी से प्यार करती हो
तुम मुझसे प्यार करती हो

अरविन्द योगी 

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