Thursday 7 April 2011

मै भारत हूँ

मै भारत हूँ

पूरब की तलहटी में बैठा
सृष्टि के सृजन में
एक आधारशिला
अरुणोदय चक्षुओ में गुंजित
भ्रमर से पल पल्लवित
सुमधुर सुन्दर सुशोभित
सदा सत्यम शिवम् सुन्दरम
मै भारत हूँ !

नव किसलय नव पवन मलय
नव पुलकित इशांत नव ज्ञान प्रशांत
नव पारस नव निर्माण
पुरातन भाषा पुरातन पहचान
जड़ चेतन सज्ञान स्वयं में महान
मै भारत हूँ

मै दर्शन हूँ अर्पण हूँ
शिव का विश्व को समर्पण हूँ
पुरातन दर्शन और विश्व का दर्पण हूँ
दुर्भाग्यवश अर्जुन हूँ
हमेशा मुझसे कोई कर्ण मरा है
पीपल का छाँव हूँ
जीवन का पड़ाव हूँ
विश्व में हूँ पर खुद में अलगाव हूँ
जिंदगी की तलहटी में
हर किनारों का पड़ाव हूँ
हर पल एक नव बहाव हूँ
भावनाओ का बहाव हूँ
मै भारत हूँ !

विश्व की मर्यादा हूँ
धर्म की दहलीज हूँ
हर प्रीत की रीत हूँ
एक मधुमय संगीत हूँ
नव साज हूँ नव राग हूँ
भाव का अनुभाव हूँ
धर्म की पावन धरती
कर्म से बंधन की मुक्ति
जीवन की वैज्ञानिक सूक्ति
प्रमाण की प्रत्यक्ष उक्ति
मै भारत हूँ !
भारत क्या है ? बचपन जवानी और बुडापा सब देखे है इस भारत ने फिर भी हमेशा सदाबहार रहा है विस्व्गुरु भारत ! आप खुद सोचे की भारत क्या है ?
अरविन्द योगी ०६/०४/२०११

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