Monday 11 April 2011

नारी तुम केवल ममता हो

नारी तुम केवल ममता हो
नारी तुम केवल ममता हो
सुख दुःख की समता हो
विस्व्पटल की क्षमता हो
त्रिभुवन में तुम रमता हो
नारी तुम केवल ममता हो -------------------
मन की निर्मल गंगा हो
जग- जननी जगदम्बा हो
कभी तो रम्भा हो
कभी शिवशक्ति अनुसंगा हो
हर पल अनंता हो
नारी तुम केवल ममता हो -----------------
जन्म मरण की कथा हो तुम
फिर क्यों दुखी मन व्यथा हो तुम
आँचल में ममता आँखों में नीर क्यों उद्वेलित मन पीर हो तुम
कविता की कल्पना हो तुम
हर सौंदर्य की अल्पना हो तुम
योगी सृष्टि की संकल्पना हो तुम
नारी तुम केवल ममता हो - अरविन्द योगी *नारी के प्रति *

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