Thursday 7 April 2011

जीवन हर पल विशेष है !-

जीवन हर पल विशेष है !-

जीवन हर पल विषेस है
जीतनी भी बीत जाये
पर कुछ अभी शेष है
जन्म यौवन मरण मुक्ति
हर पल विशेष है
जलती चिता यादों का धुआं
पर अस्थियाँ अभी शेष है
किसी का नाम हो जाता गुमनाम
पर जीवन के रेगिस्तान पर
कुछ कदमो के निशाँ अभी शेष है
जीवन हर पल विशेष है !-----

जीवन एक यात्रा अभिलेख है
पर मृत्यु मुक्ति अभिषेक है
बीत जाये चाहे सदियाँ
यादो की घड़ियाँ सपनों की लड़ियाँ
पर जीकर भी जीवन
जीने का स्वप्न अभी शेष है

योगी मन एक बंजारा
हंसमुख है हरकारा कभी न हारा
पर जीवन यात्रा अंत से भी
नव यात्रा विशेष है
कितन भी जी लें
जीवन अभी शेष है
जीवन अभी शेष है !
यह कविता क्यों ? जिस अंत को हम अंत समझते है वही तो नव्यतर का प्रारब्ध है कुछ बाते हमेशा रह जाती है जैसे आँखों के सपने ,किसी का नाम कोई पहचान !
अरविन्द योगी ०६/०४/२०११

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