Monday 26 September 2011

मन भटक जाता है

मन भटक जाता है



मै हर गली हर चौखट जाता हूँ

प्यार की हवा में बहक जाता हूँ

चाय की गली में ठहर जाता हूँ

पान में डूबा पूरा शहर पाता हूँ

जाने क्यों बनारस की गलियों में

मन भटक जाता है !-------------



यहाँ हर पल होता हवन है

सबमे भक्ति है बड़ा लगन है

हर गली में मंदिर है भवन है

यहाँ धन्य हर जनम ,मुक्ति हर मरण है

भोलेनाथ का शरण है हर मन मगन है

जाने क्यों मन चंचल है बनारस की गलियों में

मन भटक जाता है !---------------



कचौड़ी गली, खोवा गली, श्रींगार गली, विश्वनाथ गली

मस्जिद गली मंदिर गली , राम गली हनुमान गली

जाने कितनी गली , गलियों में गली

दिल को लगती भली यहाँ जीवन चली

जीवन की गली शिव की गली

गलियों का शहर मंदिरों का नगर

मन हर पल यहाँ ठहर जाता है

जाने क्यों बनारस की गलियों में

मन भटक जाता है !------------------



भंग का लहर पहर दो पहर

भाव का शहर शिव का नगर

शान का शहर सम्मान का नगर

स्वाभिमान का शहर शिव का घर

यहाँ हर गली में इन्सान का घर

भगवान का घर बनारस शहर

मन मचल जाता है भाव ठहर जाता है

जाने क्यों बनारस की गलियों में

मन भटक जाता है !------------------



घाटों का घाट शिव का बाँट

राज घाट, राम घाट , हरिश्चंद्र ,मर्निकनिका घाट

प्रह्लाद घाट हनुमान घाट ,त्रिलोचन घाट केदार घाट

सबका करता उद्धार घाट, संसार का है घोसला घाट

बनारस का हर घाट है हर जीवन की बाँट

घाटों पे ठहर जाता है नया जनम पाता है

जाने क्यों बनारस की गलियों में

मन भटक जाता है !------------------



यह कविता क्यों ? बनारस गलियों का शहर है मंदिरों का नगर है शिव का घर है जीवन का घाट है उस बनारस की क्या बात है जहाँ जलधर भोलेनाथ सबका कल्याण करते है मन का संताप हरते है ! जय विश्वनाथ भोलेनाथ रसारस बनारस हे मन बना रहे बनारस अरविन्द योगी

Thursday 1 September 2011

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा

किसी की आँखों मे मोहब्बत का सितारा होगा
एक दिन आएगा कि कोई शक्स हमारा होगा
कोई जहाँ मेरे लिए मोती भरी सीपियाँ चुनता होगा
वो किसी और दुनिया का किनारा होगा

काम मुश्किल है मगर जीत ही लूगाँ किसी दिल को
मेरे खुदा का अगर ज़रा भी सहारा होगा
किसी के होने पर मेरी साँसे चलेगीं
कोई तो होगा जिसके बिना ना मेरा गुज़ारा होगा

देखो ये अचानक ऊजाला हो चला,
दिल कहता है कि शायद किसी ने धीमे से मेरा नाम पुकारा होगा
और यहाँ देखो पानी मे चलता एक अन्जान साया,
शायद किसी ने दूसरे किनारे पर अपना पैर उतारा होगा

कौन रो रहा है रात के सन्नाटे मे
शायद मेरे जैसा तन्हाई का कोई मारा होगा
अब तो बस उसी किसी एक का इन्तज़ार है,
किसी और का ख्याल ना दिल को ग़वारा होगा

ऐ ज़िन्दगी! अब के ना शामिल करना मेरा नाम
योगी ग़र ये खेल ही दोबारा होगा !

यह कविता क्यों मोहब्बत एक एहसास है हवा का झोंका है फूलों की खुशबू है मन का संगीत है एक निस्वार्थ प्रीत है रिश्तों की अजीब सी अनकही सी रीत है मोहब्बत कोई शब्द नहीं अर्थ है जीवन का !
अरविन्द योगी