Tuesday 5 February 2013

तुम हो भारत के क्रांति पवन !


तुम हो भारत के क्रांति पवन !

खतरे में है तुम्हारा वतन 
बांध लो तुम सर पे कफ़न 
प्यार का गुलिस्ता ये चमन 
करो दिलो जान से  जतन 
नफ़रत का बहता यहाँ पवन 
मर रहा दिलों से लगन 
अजब आज का यह चलन 
दिलों में बसता बस जलन 
अधूरा हमारा हर सपन 
शहीदों तुमको कोटि कोटि नमन !

फिर बहेगा इंकलाबी पवन 
होगा दुश्मनों का सर कलम 
माँ भारती हमें तुम्हारी कसम 
हम मरेंगे तुझपे ये वतन 
करेंगे पूरा अपना हर करम 
कम रहा जो अबकी यह जनम 
लेंगे हम फिर से नया जनम 
प्राणों से प्यारा हमको यह वतन 
तूफ़ान बन जाये यह पवन 
नमन शहीदों  हर जनम नमन !

धधक उठे मन का अगन 
जागे हर दिलों में लगन 
तिरंगा हो हमारा कफ़न 
मुस्कराता रहे यह वतन 
कुछ ऐसा ही बहे यह पवन 
बदल जाये आज का चलन 
सबको प्यारा हो यह वतन 
पुकारता हमको शहीदों का कफ़न 
क्रांति की बहे प्रचंड अब पवन 
जाग उठे भारत का हर जन 
देश प्रेम का बहे फिर पवन 
वीर शहीदों नमन तुमको नमन 
तुम हो भारत के क्रांति पवन !

यह कविता क्यों ..हवा ही बदल गयी है भारत की .पहले तो नहीं था ऐसा की दूसरों के दुःख से कोई दुखी ना हो .......सच भारत में पूरब डूब रहा है .हवा ही नहीं दिशा भी बदल रही है भारत की .....सम्भालों वीरों अपना प्यारा यह वतन।।।।।।वन्देमातरम ...अरविन्द योगी 

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