Monday 11 April 2011

योगी मन एक बंजारा है

गली गली की खाक छानता
क्षीण क्षुद्र क्षणभंगुर दुर्बल
पथिक बन घूम रहा
योगी मन एक बंजारा है -------------------
पर धन्य हुआ जय दुनिया बोली
हंसमुख यह बंजारा है
जग जर्जर प्रतिदिन प्रतिपल
देव दानव गन्धर्व मनुज
घाट जाता है सबका बल
पर मन की गति को
रोक सका है कौन सा बल ?
मन की गति निश्चल अविरल
बढ़ता जाये हर पल प्रतिपल
योगी मन एक बंजारा है ------------------
हर आशा और निराशा में
जीवन की अभिलाषा में
मृत्यु की परिभाषा में
हँसता जाये रोता जाये
पर हरपल चलता जाये
इसकी गति न रुकने पाए
लम्हे गुजरीसदियाँ बीती
प्रेम प्रणय की लडिया टूटी
पर तनहा मन गता जाये
योगी मन एक बंजारा है --------
धन्य हुआ जय दुनिया बोली
हंसमुख यह हरकारा है -------
अरविन्द योगी *मन की गति को कौन रोक सकता है 

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