Monday 11 April 2011

पत्थर भी भगवान बनते है

पत्थर भी भगवान बनते है
तेरी नजर से जग में उजाला छाता है
तेरी नजर से दुनिया बनती बिगडती है
तेरे जब लहराते केश घुंघराले
काली घटा घिर-घिर के आती है
तेरी मुस्कान से कलिया सुमन बन मुस्कराती है
तेरी चितवन से जग में मधुमाश छाता है
जो ख़ुशी के हर रंग लाता है
तेरे होंठो की लाली सुबह का श्रिंगार करती है
तेरे रूप की आभा से तारे नखत में झिलमिलाते है
तेरे पायल की रुनझुन से
साज राग को मल्हार करती है
तेरी लेखनी से योगी ह्रदय
मधुर गीत का निर्माण करती है
कहाँ तक कहूं मै महिमा तेरी
तेरी अधरों से गीत सरगम पे साज रचाते है
तेरी ही ह्रदय से कंठ के तार खुलते है
तेरी छाया में संसार के घरबार चलते है
तेरी कृपा से योगी के पत्थर भी
भगवान बनते है
यह एक सूफी रचना है जिसका अर्थ प्रेमिका और माँ दोनो से है

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