उसके दिए जख्म आज भी हरे है
दिल में एक कसक और आँखों में आंसू
आँखों से मन के घावो तक भरे है
उसके दिए जख्म आज भी हरे है
ना दिल में कोई फरियाद है
न सपनो की कोई सौगात है
बस भरी उसकी याद है
उसके दिए जख्म आज भी हरे है !
वो उनसे पहली मुलाकात
वो प्यार की मीठी सी बात
वो उनका पलट कर मुस्कराना
हौले - हौले से शर्र्माना
और निगाहें मिलते ही
मोरनी सा बल खाकर इठलाना
उसके दिए जख्म आज भी हरे है !
वो इंतजार के दिन
दिले इकरार के दिन
ना जाने कब दिल में वो बस गए
बिना कुछ कहे सब कुछ कह गए
वो मौषम की खुमारी
उनकी जुकाम की बीमारी
और बच्चो सी भोली भोली मुस्कान
सब याद है सब याद है *योगी *
उसके दिए जख्म आज भी हरे है !
यह कविता क्यों ? प्यार एक भोली सी कल्पना है जिसका हकीकत बहुत ही रंगीन भी है और संगीन भी है !
अरविन्द योगी ०२/०२/२००९
दिल में एक कसक और आँखों में आंसू
आँखों से मन के घावो तक भरे है
उसके दिए जख्म आज भी हरे है
ना दिल में कोई फरियाद है
न सपनो की कोई सौगात है
बस भरी उसकी याद है
उसके दिए जख्म आज भी हरे है !
वो उनसे पहली मुलाकात
वो प्यार की मीठी सी बात
वो उनका पलट कर मुस्कराना
हौले - हौले से शर्र्माना
और निगाहें मिलते ही
मोरनी सा बल खाकर इठलाना
उसके दिए जख्म आज भी हरे है !
वो इंतजार के दिन
दिले इकरार के दिन
ना जाने कब दिल में वो बस गए
बिना कुछ कहे सब कुछ कह गए
वो मौषम की खुमारी
उनकी जुकाम की बीमारी
और बच्चो सी भोली भोली मुस्कान
सब याद है सब याद है *योगी *
उसके दिए जख्म आज भी हरे है !
यह कविता क्यों ? प्यार एक भोली सी कल्पना है जिसका हकीकत बहुत ही रंगीन भी है और संगीन भी है !
अरविन्द योगी ०२/०२/२००९
1 comment:
wah yogi ji-ati sunder
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