Saturday 26 March 2011

जीवन कविता की हाला

श्रृष्टि के हर कण में कविता है
जीवन के हर क्षण में कविता है
ना कोई सरहद ना कोई बंधन
अवनि अम्बर -तल हर पल में कविता है !
ह्रदय की वेदना में
मन की चंचल चेतना में
जन्म के उल्लास में
मृत्यु के अवसाद में
संगीत के हर साज में
ह्रदय की हर आवाज में
छिपी एक कविता है !......
जीवन के आशा में परिभाषा में
मधुप्याला में मधुशाला में
बचपन की पाठशाला में
सुख दुःख की सरिता है
जीवन एक कविता है !.
जीवन रिश्तों की मधुबाला
भरती सुख दुःख की प्याला
पी लो जितनी पीनी हो
जीवन कविता की हाला
कविता है मधुशाला
पीता है केवल दिलवाला
योगी जीवन बीत ना जाये
कविता बन मधुबाला तुम्हे बुलाये !
जीवन कविता की हाला .

अरविन्द योगी यह कविता क्यों ? सम्पूर्ण जीवन ही एक कविता है जीवन की की कविता को पढ़े डूब जाये और खुद एक कविता बन जाये कविता ना केवल ह्रदय के तार खोलती है बल्कि ह्रदय के वेदना को चेतना में परिणित करती है ! कविता जीवन की मधुशाला है !

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