Saturday 26 March 2011

दर्द ने प्यार को खींच के निकला

एक बार सारी एहसासों ने निश्चय किया कि छुपन छुपाई खेलेंगे /
दर्द ने गिनती शुरू कर दी और एहसास छुप गए
झूठ पेड़ के पीछे छिपा और प्यार गुलाब कि झाड़ियों के पीछे
सब पकड़े गएँ सिवाय प्यार के
ये देख नफ़रत दर्द को बता दिया कि प्यार कहाँ छिपा है
दर्द ने प्यार को खींच के निकला तो
काटो कि वजह से प्यार कि आँखे ख़राब हो गईं
और प्यार अँधा हो गया ये देख इस्वर ने
दर्द को सजा सुनाई कि
उसे जिंदगी भर प्यार के साथ रहना पड़ेगा
तभी से प्यार अँधा है और जहाँ भी जाता है
दर्द देता है ! अरविन्द योगी

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