Saturday 26 March 2011

जिंदगी हर पल दर्द देती है

जिंदगी हर पल दर्द देती है
पर एक उम्मीद रहती है
रिश्ते टूट भी जाये मगर
उनमे अपनेपन की पीर रहती है
जिंदगी एक मुसाफिरखाना
हम है इसके मुसाफिर
तमाम रह चलकर भी
मंजिल कफीर रहती है
यूँ तो सबके हनथो में
किस्मत की लकीर होती है
पर जिनके हाँथ नहीं होते
उनकी भी अपनी तकदीर होती है
मंदिर में भगवान , मस्जिद में खुदा
बसते है इसका एहसास होता है
पर घर के आँगन में भी
भगवान् का एहसास होता है
ज़िन्दगी हर पल दर्द देती है
पर हर दर्द में छिपी एक मरहम होती है
जिन्दादिली से जीकर देखो जिंदगी
वरना धनवानों की जिन्दगी भी फ़कीर होती है
अमावश सी दर्द भरी ज़िन्दगी में
एक सुनहले सुबह की तस्वीर होती है
साख बेवफाई करे जिंदगी योगी
पर जिन्दगी से वफ़ा की उम्मीद रहती है
जिनके हाँथ नही होते उनकी भी तकदीर होती है !..........

यह कविता क्यों ? आश में जीने से बेहतर है कि निराशा में जिए क्योकि जिससे जितनी उम्मीद होती वो उम्मीद टूट जाती है और निराशा में किया हुआ कार्य परिणाम अवस्य देती है !

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