Saturday 26 March 2011

तेरी तन्हाई की बरसात में

गुजरा हूँ तेरे प्यार में उस मुकाम से
  
प्यार सा हो गया है प्यार के नाम से
जब तुम थे मेरे आँखों के सामने
न कुछ कह सका मै
मदहोश थे तेरे अदाओं के आईने
मेरे एहसास में तुम थे
जिंदगी की हर आश तुम थे
जब भी तनहा रहा
तन्हाई की बरसात में तुम थे
ऐसा पहली बार हुआ था
दिल में मीठा दर्द हुआ था
दिल मेरा बन पतंग
तेरी गलियों में उड़ता था
और तुझे देख कटकर
तेरे दामन में गिरता था
ना जाने क्यों तमसे प्यार किया
तेरी तन्हाई की बरसात में
योगी जीवन जिया
तेरी यादो ने क्या था
और मुझे क्या किया ?

प्यार एक बरसात है जो भींग सकता है वो ही जाने की प्यार की बुँदे कैसी होती है
अरविन्द योगी @

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