Saturday 26 March 2011

सपना वो है जो सोने ना दे !

जिंदगी एक रात है इसमें ना जाने कितने ख्वाब है
जो मिल गया वो अपना है जो खो गया वो सपना है
इन्सान कल्पनाओ के मंदिर में सपनो का पुजारी है
जिसे बस सपनों की बीमारी है जो कर्म से भिखारी है
सपना वो नहीं जो नीद में आये दिल में झूठा उम्मीद जगाये
सपना वो है जो सोने ना दे !
जीवन में कभी रोने ना दे !
भाग्य भरोसे कुछ होता नहीं जब इन्सान कर्मपथ खोता नहीं
समस्याओं से लड़ने से ही उनके हल निकलते है
मंजिल भी उनके पीछे चलती है
जिन सपनों की अपनी पहचान होती है
कल्पनाओं से कुछ नहीं होता आधार से उडान होती है
तभी जिंदगी एक तूफ़ान होती है
तूफ़ान कभी सोता नहीं कल्पनाओ में खोता नहीं
भले ही कल्पनाओ से सपनो की शुरुआत होती है
पर सपने तो हर पल नीद में भी एक तूफ़ान होती है
सपना वो है , जो सोने ना दे , जीवन में कभी रोने ना दे !

 अरविन्द योगी २४/०३/२०११
यह कविता क्यों ? सपने का आधार कल्पना है पर कल्पना का आधार मन का विस्वाश है जिसके मन में लक्ष्य के लिए मजबूत विस्वाश होता है वो हर पल कर्मपथ पर चलता रहता है वो सोते हुए भी जागता है!

No comments:

Post a Comment