Saturday, 26 March 2011

जो कलम की कोख में आंशुओ को ढोता है

जो कलम की कोख में आंशुओ को ढोता है
मेरी नजर में वही कवि होता है
अंधेरो की आशा जीवन की परिभाषा
बस एक रवि होता है
काले अक्षरों में रौशनी की बात
कोमल कल्पनाये और भावनाओ का जजबात
बस एक कवि समझता है
रात की तन्हाई दर्द की पुरवाई
मिलन की रुसवाई और अपनों की जुदाई
जो कलम में ढोता है
मेरी नजर में वही कवि होता है !
हकीकत जिंदगी में गुलजार होता है
जब सपनों का व्यापार होता है
कोई कवि जब कल्पना को पलता है
दिल के दर्द को शब्दों में ढालता है
तब फूट पड़ती है एक कविता
जब अंत :ह्रदय में यादो का संचार होता है
दर्द में डूबी कविता का श्रींगार होता है !

                 अरविन्द योगी

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