Thursday 12 January 2012

ये है मुंबई मेरी जान

ये है मुंबई मेरी जान

कभी ना घटती जिसकी शान

हर पल बढती इसकी मान

हर जीवन में एक नई जान

हर दिन एक नई पहचान

ये है मुंबई मेरी जान !

यहाँ दौड़ती जिंदगी

ट्रैफिक से दिल्लगी करते लोग

वक़्त का समुचित सदुपयोग

यहाँ मिलता है भरपूर प्यार

जानवर हो या इन्सान

ये है मुंबई मेरी जान !

जमीन से आसमान तक

झोपडी से मकान तक

चाय से पकवान तक

शैतान से भगवान तक

यहाँ सब मिलते हैं महान

ये है मुंबई मेरी जान !

यहाँ खुली किताब खुली ज़िन्दगी

रंगीन सपने सब अपने

कोई आये कोई जाये

मिलती सबको कुछ सौगातें

इसकी निराली सब बातें

हर बातो में है बहुत जान

ये है मुंबई मेरी जान !

रात को दुल्हन सुबह को राजा

दिन बढ़ते बन जाये शहजादा

हम को बनता फिर चाँद आधा

पूरा करता अपना हर वादा

हर वादे में प्यार की शान

ये है मुंबई मेरी जान !

खुशियों की बारिश

देश का दिल है दिल

सबसे प्यारी प्रीत है

हर पल बजती संगीत है

हर सुबह एक नई पहचान

एक नई जान एक नई शान

ये है मुंबई मेरी जान

यह कविता क्यों ? देश के दिल मुंबई में दिल से जियें मुंबई का दिल बड़ा व्यावसायिक हो चूका है फिर भी यहाँ अपनों जानते हैं लोग प्यार से पहचानते हैं लोग

अरविन्द योगी १२/०१/१२ मुंबई प्रवास पर

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